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बाल कहानी : मोनू की पहली हवाई यात्रा



बचपन से ही मोनू हवाई जहाज देखकर बहुत खुश होता था... यूं तो उसके पास खिलौनों की कमी नहीं थी किन्तु उसके खिलौनों में सबसे ज्यादा संख्या हवाई जहाजों की ही थी। जब कभी भी आसमान से हवाई जहाज के निकलने की आवाज सुनाई पड़ती वह भागकर अपने घर की बालकनी या छत पर जा पहुंचता और देर तक दूर जाते हवाई जहाज को निहारता रहता। कई बार तो वह हाथ हिलाकर हवाई जहाज में जा रहे यात्रियों को अपनी छत से ही टाटा भी करता।

मोनू अब बड़़ा हो चला था, वह कक्षा पांच में आ गया था किन्तु आज भी एअरप्लेन के प्रति उसका आकर्षण कम नहीं हुआ था.... आज वह बहुत खुश था उसके हवाई जहाज में बैठने के सपने को पंख मिलने वाले थे।

मोनू के पिताजी उसे पूरे परिवार के साथ पहली बार हवाई यात्रा पर ले जा रहे थे। जैसे ही यात्रा के टिकिट आए मोनू जल्दी-जल्दी पिताजी के साथ मिलकर सफर की तैयारी में लग गया। अगले दिन उन्हें हवाई जहाज में सफर करना था।

अगले दिन मोनू और उसका पूरा परिवार मां, पिताजी व छोटा बेबी सफर में जाने के लिए तैयार थे। सभी सामान कार में एअरपोर्ट पर जाने के लिए तैयार हो गया... घर पर ताला लगने से पहले ही मोनू को याद आया कि छोटे बेबी को कल से हल्का बुखार था जिसकी दवाइयां मां ने अपने पर्स में रख ली थीं... कुछ सोचकर मोनू मां के कमरे में गया और वहां रखे थर्मामीटर को अपनी जेब में रख लाया।

मोनू सहित सभी एअरपोर्ट पर रवाना हो गए। एअरपोर्ट पर प्रवेश करते ही उनकी चेकिंग हुई। मोनू की जेब में रखे थर्मामीटर को वहीं निकाल लिया गया। मोनू आश्चर्यचकित था, वह रूआंसा मुंह बनाकर बोला लेकिन छोटे बेबी को बुखार है, थर्मामीटर की जरूरत होगी। सामान चेकर ने एक हल्की सी स्माइल दी और मोनू के पिताजी ने मोनू को हाथ पकड़कर बिना थर्मामीटर के ही आगे चलने को कहा। मोनू ने पिताजी से पूछा- ‘‘लेकिन पिताजी हम थर्मामीटर साथ में क्यों नहीं ले जा सकते।’’ पिताजी ने मोनू से कहा ‘‘बेटे, हवाई जहाज के छूटने का समय हो रहा है, हमें अभी जल्दी चलना चाहिए, बाकी बात बाद में करेंगे।’’

वे सभी समय पर अपनी सीट पर बैठ गए कुछ ही सेकिंड में प्लेन उड़ान भरने लगा। एअरप्लेन में बैठने के बाद मोनू के खुशी की सीमा न थी परन्तु अभी भी उसके मन में थर्मामीटर को लेकर प्रश्न उठ रहे थे। मोनू ने पास ही सीट पर बैठे अपने पिताजी से पूछा-‘‘लेकिन पिताजी हमें थर्मामीटर क्यों नहीं लाने दिया गया।’’

मोनू के पिताजी अब सहज हो चुके थे, बच्चे की जिज्ञासा को वे समझते थे... उन्होंने उसे बताया कि बेटा थर्मामीटर के अंदर पारा भरा होता है जिससे एअरप्लेन को खतरा रहता है। एअरप्लेन की बॉडी एल्युमीनियम से बनी होती है, एल्युमीनियम बहुत रिऐक्टिव पदार्थ है यहां तक की यह वायु के संपर्क में आकर ऑक्सीजन से भी रिएक्ट कर लेता है... किन्तु तब इसे नुकसान नहीं हो पाता क्योंकि यहां एल्युमीनियम ऑक्सीजन के संपर्क में आने से एल्यूमीनियम ऑक्साइड की एक परत बना लेता है जो वायुयान के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है। किन्तु यदि गलती से भी थर्मामीटर में प्रयुक्त पारा इसके संपर्क में आ जाता है तो एल्युमीनियम का यह सुरक्षा कवच टूट जाता है और तब पारा एल्युमीनियम की परत को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, इससे विमान की बॉडी को भारी क्षति की संभावना हो जाती है और चूंकि इस प्रक्रिया में काफी गर्मी उत्पन्न होती है इससे विमान के फ्यूल टैंक में भी आग लगने का खतरा बन जाता है। यही वजह है कि एअरप्लेन में सफर करते समय थर्मामीटर ले जाने के लिए मना किया जाता है।

मोनू बहुत ध्यान से पिताजी की बात सुन रहा था, उसे समझ में आ गया कि वह कितनी बड़ी गलती करने जा रहा था। आज हवाई जहाज में यात्रा के आनंद के साथ ही उसे एक खास जानकारी भी मिली थी, वह बहुत खुश था।
                                                                                                                                   -साभार प्रभासाक्षी

About Brijesh Kumar Saini

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