pankhuriya

भला गुलाम की भी कोई इच्छा होती है।



हजरत इब्राहीम बलख के बादशाह थे। उन्होंने एक बार एक गुलाम खरीदा। अपनी स्वाभाविक उदारता से उन्होंने प्रश्न किया, 'तेरा नाम क्या है?'

गुलाम ने उत्तर दिया, जिस नाम से बुलाएं, वही मेरा नाम होगा मालिक।

बादशाह ने पूछा, तुम क्या खाओगे? गुलाम ने कहा, जो आप खिलाएं। बादशाह ने पूछा, तुम्हें किस तरह के कपड़े पसंद हैं?

गुलाम ने कहा, जिन्हें आप पहनने के दें।

बादशाह ने इस बार पूछा, तुम कौन सा कार्य करना चाहोगे?

जो आप कहें।

इस बार बादशाह ने फिर पूछा, तुम्हारी इच्छा क्या है?

गुलाम ने कहा, भला गुलाम की भी कोई इच्छा होती है। बादशाह उस गुलाम की हाजिरजबावी से इतना प्रसन्न हुआ कि तख्त से उठकर उसने कहा, सचमुच तुम मेरे उस्ताद हो, क्योंकि तुमने मुझे सिखा दिया कि प्रभु के सेवक को कैसा होना चाहिए।

About Brijesh Kumar Saini

हेलो, दोस्तो मेरा नाम ब्रजेश कुमार सैनी है। मुझे नये दोस्त बनाना मेरा शौक है। मुझे शायरी, मैसेज और नये-नये जोक्स का संग्रह करने का शौक है। मेरे एक मित्र राजेन्द्र सिंह ने मुझे सुझाव दिया कि क्यों न मै एक ब्लॉग बना लूं और वहां पर मेरे साथ अन्य लोग भी लाभान्वित होगें। यहीं से Friends Message सिलसिला शुरू हो गया। मै आशा करता हूं कि आपको मेरा प्रयास पसंद आयेगा। यदि आपके पास कोई सुझाव है आप मुझे कमेन्ट के माध्यम से दे सकते है।
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